मियर एक्सपोज़र इफेक्ट एक मनोवैज्ञानिक सिद्धांत है, जिसके अनुसार किसी वस्तु, व्यक्ति या विचार के प्रति हमारी पसंद सिर्फ इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि हम उसके संपर्क में बार-बार आते हैं। इस प्रभाव को “फैमिलियरिटी प्रिंसिपल” के रूप में भी जाना जाता है। यह सिद्धांत बताता है कि हम किसी चीज़ को जितना अधिक देखते हैं, उतना ही अधिक उसे पसंद करने लगते हैं।
मात्र-प्रदर्श प्रभाव क्या है?
मात्र-प्रदर्शन प्रभाव उस घटना का वर्णन करता है जिसमें लोग उन चीज़ों का मूल्यांकन करते हैं जिनका वे अक्सर सामना करते हैं और अधिक सकारात्मक रूप से करते हैं। इसका मतलब है कि जितनी बार हम किसी निश्चित उत्तेजना, जैसे कि कोई चित्र, कोई राग या कोई व्यक्ति के संपर्क में आते हैं, हम उस उत्तेजना के प्रति उतने ही अधिक सहानुभूतिपूर्ण हो जाते हैं। यह प्रभाव हमारे जीवन के कई क्षेत्रों में होता है और अक्सर हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है, बिना हमें इसके बारे में पता चले। मस्तिष्क कम से कम प्रतिरोध वाले मार्ग को पसंद करता है और बार-बार संपर्क में आने वाली चीजों को समझने के लिए एक ढांचा तैयार करता है। इसे ‘सतत प्रवाह’ (processing fluency) कहा जाता है। किसी चीज के बार-बार संपर्क में आने से व्यक्ति का मस्तिष्क उसे अधिक गति और कम प्रयास से संसाधित करने में सक्षम होता हैं। यही कारण है कि लोग पुराने साहित्य के आधुनिक अनुवादों को ज़्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि उन्हें पढ़ना आसान और अधिक रोचक लगता है।
मात्र-प्रदर्श प्रभाव कैसे कार्य करता है:-
इस प्रभाव के पीछे मुख्य कारण यह है कि जब हमारा मस्तिष्क किसी चीज़ को बार-बार देखता है, तो वह उसे परिचित मानने लगता है। यह परिचित चीजें हमें सुरक्षित और भरोसेमंद लगती हैं, जिससे हम उन्हें पसंद करने लगते हैं। यह प्रभाव अवचेतन रूप से काम करता है, यानी हमें यह अहसास भी नहीं होता कि हमारी पसंद इस सिद्धांत से प्रभावित हो रही है।
मात्र-प्रदर्श प्रभाव के घटक:-
मात्र-प्रदर्श प्रभाव बताता है कि जब लोग किसी चीज के बार-बार संपर्क में आते हैं, तो वे उसे पसंद करने लगते हैं, चाहे वे उसे पहले से जानते हों या नहीं। अब हम इसके मुख्य घटकों को विस्तार से समझते हैं।
- किसी चीज पर आकर्षित होना – जब किसी चीज को बार-बार देखने पर व्यक्ति उन चीजों पर आकर्षित हो जाता है, और उसे बेहद पसंद करने लगता हैं।
- परिचय – परिचित चीजें दिमाग को सुरक्षित और भरोसेमंद लगती हैं, जिससे उनके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।
- सकारात्मक प्रतिक्रिया – जितनी बार कोई वस्तु या विचार प्रस्तुत किया जाता है, उतनी ही अधिक संभावना होती है कि व्यक्ति उसे स्वीकार कर ले।
- संज्ञानात्मक सहजता – जब कोई चीज़ अधिक जानी-पहचानी होती है, तो हमारा दिमाग उसे आसानी से समझ पाता है, जिससे उसकी स्वीकार्यता बढ़ जाती है।
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मात्र-प्रदर्श प्रभाव के कुछ उदाहरण
- किसी के साथ लगाव होना – कई बार ऐसा होता हैं हम किसी व्यक्ति से मिलते है और हम उस पर आकर्षित हो जाते है, हमे उस व्यक्ति विशेष के बारे में पता ना होने के बावजूद भी हमें उससे लगाव हो जाता है। जैसे, हम किसी नौकरी में जाते है, और किसी व्यक्ति विशेष से हमारी मुलाकात प्रतिदिन होने लगती है, प्रतिदिन उनके बीच बातचीत के दौरान एक आकर्षण या लगाव हो जाता हैं।
- किसी संगीत को बार-बार सुन – कई बार हमारे द्वारा देखे गए फिल्म के गीतों को जब हम सुनते है, एक बार वह हमें पसंद ना आए परन्तु जब हम उसे किसी ना किसी माध्यम से बार-बार सुनने के दौरान वह गीत हमे पसंद आने लगती हैं।
- सामाजिक संबंध – समाज में जिन लोगों से हम मिलते हैं, उनके प्रति हमारा झुकाव बढ़ने लगता हैं। जैसे, स्कूल, कॉलेज या हमारा कार्यस्थल भी हो सकता हैं जब हम एक दूसरे के संपर्क में आते हैं हमारा आकर्षण उनके प्रति बढ़ने लगता हैं।
- राजनीति – चुनाव में किसी राजनेता का पोस्टर बार-बार देखे जाने या, चुनाव प्रचार के दौरान किए गए वादे से कई बार लोग आकर्षित हो जाते हैं।
- सोशल मीडिया – सोशल मीडिया जैसे रील को स्क्रॉल करना किसी एक पोस्ट को देखकर उसे दोहराना ये भी एक प्रकार का आकर्षण है।
- पोषण और खाने की आदतें – इसका असर हमारी खाने की आदतों पर भी पड़ता है। हम जो खाना अक्सर देखते या खाते हैं, वह हमारे लिए ज़्यादा जाना-पहचाना और स्वादिष्ट हो जाता है। यही एक कारण है कि हम अक्सर सुपरमार्केट में वही उत्पाद खरीदते हैं और जाने-पहचाने व्यंजन पसंद करते हैं।
- ऑनलाइन शॉपिंग – ऑनलाइन शॉपिंग एक ऐसा यंत्र है, जहां लोग एक बार चेक करने पर वह लोगों को इस प्रकार आकर्षित करती है कि लोग बार- बार शॉपिंग करना पसंद करते हैं।
यह सब कैसे शुरू हुआ?
मियर एक्सपोजर प्रभाव की सबसे पहली वैज्ञानिक रिकॉर्डिंग 19वीं सदी के अंत में जर्मन मनोवैज्ञानिक गुस्ताव फेचनर और अंग्रेजी मनोवैज्ञानिक एडवर्ड टिचनर के काम से आई, जिन्होंने किसी परिचित चीज़ की मौजूदगी में महसूस की जाने वाली “गर्मी की चमक” के बारे में लिखा था। इस प्रभाव की अधिक गहन जांच 1968 में रॉबर्ट ज़ाजोनक नामक एक अमेरिकी सामाजिक मनोवैज्ञानिक ने की थी। अपने प्रयोगों में. जाजोनक ने परीक्षण किया कि विषय बनावटी शब्दों और चीनी अक्षरों पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं। विषयों को अलग-अलग संख्या में अक्षर दिखाए गए और फिर उनके प्रति उनके दृष्टिकोण का परीक्षण किया गया। ज़ाजोनक ने पाया कि जिन विषयों को ये शब्द सबसे अधिक दिखाए गए, उन्होंने उनके प्रति सबसे अनुकूल प्रतिक्रिया भी दी।
मात्र-प्रदर्श प्रभाव के फायदे:-
- कंपनी के प्रति जागरूकता – कंपनी इस प्रभाव का प्रयोग करके अपनी कंपनियों का प्रचार आसानी से कर सकती है, और अपनी कंपनी को लोकप्रिय बन सकती है।
- सीखने में हमारी मदद करती है – किसी विषय को जब हम बार-बार सुनते हैं, या उसे पढ़ते है, तो वह हमें बेहतर तरीके से याद हो जाती हैं और हम इसे आसानी से समझ के अपने दिनचर्या में उपयोग कर सकते हैं।
- सामाजिक संबंधो में मदद करती हैं – मात्र-प्रदर्श प्रभाव का उपयोग सामाजिक संबंधो में किया जाता है, ताकि लोगों को एक दूसरे के प्रति आकर्षित किया जाए।
मात्र-प्रदर्श प्रभाव के नुकसान –
- गलत सूचना का प्रभाव: बार – बार किसी विशेष चीजों या भ्रामिक झूठी जानकारी को दिखाए जाने पर उसे सच मानना इससे लोगों पे गलत प्रभाव पड़ सकता है।
- पूर्वगृह और पक्षपात – पुरानी लगाव के कारण लोग नए चीजों को नकार सकते है क्योंकि उससे वह लोग परिचित नहीं हैं।
- कंपनियों में गलत प्रचार प्रसार के कारण दुरुपयोग – मात्र-प्रदर्श प्रभाव के ज्यादा उपयोग किए जाने पर कंपनियों में गलत प्रचार प्रसार के कारण कंपनियों अर्थव्यवस्था खराब हो सकती हैं।
निष्कर्ष
मात्र-प्रदर्शन प्रभाव एक आकर्षक मनोवैज्ञानिक घटना है जो यह दर्शाती है कि पुनरावृत्ति हमारी प्राथमिकताओं और निर्णयों को कितनी दृढ़ता से प्रभावित करती है।
चाहे विज्ञापन में हो, सोशल मीडिया पर हो या व्यक्तिगत संबंधों में लगातार दृश्यता और बार-बार मुलाकातें परिचितता और सहानुभूति पैदा करती हैं। इस प्रभाव का लक्षित उपयोग करके, ब्रांड विश्वास का निर्माण कर सकते हैं, ग्राहक वफादारी को मजबूत कर सकते हैं और अंततः अधिक सफल हो सकते हैं।मात्र एक्सपोजर प्रभाव के सिद्धांतों को समझकर और उन्हें लागू करके, हम न केवल विपणन में, बल्कि रोजमर्रा के जीवन में भी अधिक सचेत और रणनीतिक ढंग से कार्य कर सकते हैं।
मियर एक्सपोजर प्रभाव हमारे दैनिक जीवन, विज्ञापन, राजनीति, शिक्षा और सामाजिक संबंधों में गहराई से अंतर्निहित है। यह दर्शाता है कि परिचित चीजें हमें अधिक आकर्षित करती हैं और हम अनजाने में उनकी ओर झुक जाते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग करना भी हमारे लिए घातक साबित हो सकता है, जैसे-ऑनलाइन धोखाधड़ी हो सकती है, हमे सोच विचार कर उपयोग करना चाहिए। सोशल मीडिया की अगर बात करे तो आज के डेट पर यह एक लत बन चुकी हैं जो कि एक अफीम के नशे से भी ज्यादा खतरनाक है सोशल मीडिया आज एक ऐसा प्लेटफार्म बन गया जहां लोग अपने घरों की अच्छी या बुरी बातों को लोगों तक पहुंचाते है, कभी कभी अपने परिवारों की संबंध भी बताया जाता हैं, जिससे लोगों में दूरियां उत्पन्न हो रहा है सोशल मीडिया को अपने अच्छे कला के लिए उपलोग करे जिससे लोग आपकी कला को जान कर आपको एक अच्छी अवसर दे सके।
हालाँकि, इस प्रभाव को समझकर हम अपनी पसंद-नापसंद को अधिक तर्कसंगत बना सकते हैं और गलत सूचना या पक्षपात से बच सकते हैं।