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इस नए साल में अपने पुराने आप को स्वीकार करना ठीक है।

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आत्म-स्वीकृति का सरल अर्थ है: “एक व्यक्ति का अपने सभी गुणों को स्वीकार करना, चाहे वे अच्छे हों या बुरे।” इसमें अपने शरीर को स्वीकार करना, नकारात्मक आलोचना से खुद की रक्षा करना और अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना शामिल है। कई लोगों में आत्म-स्वीकृति का स्तर कम होता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन एक आम धारणा यह है कि हम अपनी आत्म-सम्मान की भावना को दूसरों से मिलने वाले सराहना के आधार पर भी विकसित करते हैं। जिन लोगों में आत्म-स्वीकृति कम होती है, उनके माता-पिता ने शायद उनके बचपन में सहानुभूति नहीं दिखाई। इसका असर यह होता है कि बड़े होने पर वे दूसरों से अधिक मजबूत और बार-बार प्रशंसा की अपेक्षा करते हैं। सामान्य सराहना उनकी आत्म-सम्मान को बढ़ाने में पर्याप्त नहीं होती।

आपका हर अतीत का अनुभव आपको आज का व्यक्ति बनाने में मदद करता है। भविष्य में खुद का बेहतर संस्करण बनने की कोशिश करना एक अच्छी बात है। लेकिन इसके लिए आपको अपने अतीत में मौजूद हर कमी और हर असमानता को अपनाना होगा। ऐसा करने से आप खुद को गहराई से समझ पाएंगे और अपने भीतर छिपी संभावनाओं को खोज पाएंगे। जब आप अपने अतीत को स्वीकार करते हैं, तो आप अपने वर्तमान को पूरी तरह जीने की अनुमति देते हैं। अगर आप अपने सबसे बुरे समय में खुद से प्यार कर सकते हैं, तो आप गलतियाँ करने पर भी खुद से प्यार करना जारी रखेंगे।

आप जो थे, वही आज भी हैं। आपकी परिस्थितियाँ भले बदल जाएँ, लेकिन आप वही व्यक्ति बने रहते हैं। खुद के प्रति दयालु बनें खासकर तब जब आप खुद को कमजोर महसूस करते हैं। आपका अतीत पूर्ण नहीं था और आपका भविष्य भी ऐसा नहीं होगा। हम सभी खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस प्रयास को सबसे ज्यादा सराहने वाला व्यक्ति आप खुद ही होंगे।

आप अपने अतीत को नहीं बदल सकते हम सभी गलतियाँ करते हैं, और खुद को बार-बार दोष देने या पछताने से कुछ नहीं बदलेगा। जो हो चुका है, उसे बदला नहीं जा सकता। अपने बीते फैसलों पर पछताने से केवल आपकी ऊर्जा और आत्मसम्मान कम होता है। अगर आप कुछ बदलना चाहते हैं, तो अतीत के बारे में सोचने की बजाय आगे बढ़ने पर ध्यान दें। सकारात्मक बदलाव लाने के लिए FACT का अनुसरण करें:

  1. क्षमा (Forgiveness): सबसे पहले खुद को अपनी गलतियों के लिए माफ करें।
  2. स्वीकार्यता (Acknowledgment): अपनी गलतियों को स्वीकारें और समझें कि वह क्यों गलत थीं।
  3. चुनाव (Choices): भविष्य में बेहतर निर्णय लेने का संकल्प लें।
  4. परिवर्तन (Transformation): खुद को बेहतर और मजबूत बनाने की दिशा में काम करें।

जब आप इन बातों को अपनाते हैं तो आप पछतावे से सीखने और खुद को सुधारने की ओर बढ़ते हैं। यह दृष्टिकोण न केवल आत्म-करुणा को बढ़ावा देता है, बल्कि आपको दोबारा वही गलतियाँ करने से भी रोकता है।

आपने सोचा कि आप सही कर रहे थे

हर फैसले के समय, हम उस जानकारी के आधार पर काम करते हैं जो उस वक्त हमारे पास होती है। शायद आपको लगा कि किसी व्यक्ति से शादी करना, कोई काम करना या कोई और फैसला लेना सही था। अब वह गलत लग सकता है, लेकिन उस समय वह उचित लगा होगा। Hindsight (पीछे मुड़कर देखने पर समझ) आज साफ दिखता है, लेकिन उस वक्त आपको भविष्य की जानकारी नहीं थी। कई बार हम सोचते हैं कि हम सही कर रहे हैं जबकि लंबे समय में वह सही साबित नहीं होता। यह भी हो सकता है कि आपके पास बेहतर निर्णय लेने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं थी या फिर आत्म-सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों ने आपके फैसले पर असर डाला हो। अपने आप पर ज्यादा कठोर न बनें। लेकिन इतना नरम भी न हों कि आप खुद को बेहतर बनाने का प्रयास न करें। हमें खुद को यह याद दिलाना होगा कि हम सभी इंसान हैं और गलतियाँ करना हमारी प्रकृति का हिस्सा है।

खुद को माफ न करना = नकारात्मक ऊर्जा को पकड़ कर रखना

अगर आप खुद को माफ नहीं करते, तो आप खुद को कमजोर और अयोग्य मानने लगते हैं। ऐसा करने से आप दूसरों को भी वैसा ही व्यवहार करने का मौका देते हैं। अगर आप खुद से अच्छा महसूस नहीं करते, तो कोई और क्यों करेगा?

नकारात्मक ऊर्जा केवल बुरे लोगों और बुरे अनुभवों को आकर्षित करती है। यह आपकी ऊर्जा और समय को व्यर्थ कर देती है और आपको एक ऐसी स्थिति में फँसा देती है जहाँ से बाहर निकलना मुश्किल लगता है। खुद को माफ करना जरूरी है। ऐसा करने से आप अपने जीवन में सकारात्मक लोगों और अनुभवों के लिए जगह बनाते हैं। आप अपनी ऊर्जा को खुशियों और नई संभावनाओं की ओर मोड़ सकते हैं, न कि दुख और पछतावे की ओर ।

क्षमा से विकास की शुरुआत होती है

खुद को माफ करना यह नहीं है कि आप अपनी गलतियों को अनदेखा कर दें या उन्हें सही ठहराएँ। यह मानने के बारे में है कि आप इंसान हैं, अपूर्ण हैं और हमेशा सीख रहे हैं। जब आप खुद को माफ करते हैं तो आप अपनी ऊर्जा को वापस पाते हैं और उसे अपने जीवन को बेहतर बनाने में लगाते हैं। यह बदलाव आपको आत्म-दंड से दूर ले जाकर आत्म-विकास की ओर ले जाता है। गलतियाँ जीवन का हिस्सा हैं लेकिन वे आपकी पहचान तय नहीं करतीं। क्षमा, स्वीकार्यता और परिवर्तन के जरिए आप अपनी गलतियों को सुधारने और एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ने के रास्ते पर चल सकते हैं। याद रखें, लक्ष्य यह नहीं है कि आप कभी गलती न करें, बल्कि यह है कि आप उनसे सीखें और एक बेहतर व्यक्ति बनें। खुद के साथ दयालु बनें और देखें कि आपका जीवन कैसे बदलता है।

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हमें अब तक समझ आ गया है कि स्वयं को स्वीकारना कितना महत्वपूर्ण है। हमारे विकसित होने में कई अनुभवों, परिस्थित और विचारों का संयोग होता है। हम हमारे अतीत को नहीं बदल सकते परन्तु उसको स्वीकारना आवश्यक है। जैसा कि हम सब नए साल में प्रवेश कर रहे हैं, यह आवश्यक नहीं है कि दिनांक के बदलते ही हम भी बदल जाए और बेहतर होते जाए। परिवर्तन एक निरंतर प्रक्रिया है और इस परिवर्तन में सबसे ज़रूरी है कि हम यह जाने की हम में क्या बदलाव हुए हैं और क्या यह बदलाव ज़रूरी था ? हम इस बदलाव से पहले बेहतर महसूस करते थे या बदलाव के बाद? जीवन में कई बार कुछ स्थितियों को टाला नहीं जा सकता, खुद को कोसने से अच्छा है कि हम खुद को जैसे भी हैं वैसे ही अपना लें और भविष्य में आने वाली परिस्थितियों के लिए सजक करें।

निष्कर्ष

अंदर की शांति और खुशी तब आती है जब आप अपने जीवन के हर चरण में खुद को स्वीकार करते हैं। अपने अतीत की सुंदर यादों को संजोए रखें लेकिन यह न सोचें कि वे पल सिर्फ अतीत में ही थे, वे पल आपके साथ हैं और भविष्य में भी ऐसे ही कई सुंदर पल हो सकते हैं। खुद को नई चीजें आजमाने की अनुमति दें। जैसे-जैसे आप बड़े होते हैं, नई चीजें सीखने और अनुभव करने का साहस करें। अपनी जिज्ञासा का पीछा करें, हर नए रास्ते को खोजें। अपने अतीत के अनुभवों का उपयोग अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए करें। जो कुछ आपने अब तक बनाया है, उसे खोने के डर से नई चीजों को अपनाने से मत घबराएँ। अतीत की यादें और सीखें आपके लिए ईंधन का काम करती हैं। उन्हें अपनी शक्ति बनाइए और अपने जीवन को नई दिशाओं में ले जाइए।

References +
  • Harvard Health. (2016, May 16). Greater self-acceptance improves emotional well-being. https://www.health.harvard.edu/blog/greater-self-acceptance-improves-emotional-well-201605169546
  • Roberts, N. (2022, March 6). Embracing your past self. The Freeform. https://www.the-freeform.com/p/embracing-your-past-self
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