एंग्जायटी (चिंता) क्या होता है?
चिंता शब्द का अर्थ डर और बेचैनी से जुड़ा होता है। जब कोई व्यक्ति किसी चिंता में डूबा होता है, तो उसे अचानक से पसीना आ सकता है, बेचैनी हो सकती है और तनाव (टेंशन) के साथ दिल की धड़कन भी तेज हो सकती है। चिंता के कारण पसीना आना, बेचैनी, या दिल की धड़कन का तेज होना आदि को सामान्य प्रतिक्रिया माना जाता है। कोई बुरी खबर सुनने पर, परीक्षा या इंटरव्यू से पहले, या जीवन में घटित किसी दुखद घटना को याद कर चिंतित हो जाना, ये सभी सामान्य चिंता के उदाहरण हैं। चिंता एक सामान्य अनुभव हो सकती है, लेकिन जब यह बहुत अधिक और स्थायी हो जाती है, तो इसे मानसिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में जाना जा सकता है, जिसे चिंता विकार कहा जाता है।
चिंता एक आवश्यक और स्वाभाविक भावना है। फ़िल्म इनसाइड आउट, 2015 में रिलीज़ हुई थी। यह एनिमेटेड मूवी भावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए फेमस हुई थी। इनसाइड आउट खुशी और गम और बचपन से तालुक रखती थी, इनसाइड आउट 2 में किशोरावस्था और अन्य भावनाओं खासकर एंग्जायटी (चिंता) को दर्शाया गया है। इनसाइड आउट 2 ने मानसिक स्वास्थ्य एवं हमारी भावनाओं के प्रति गहरा संदेश पहुंचाया है, जिसमें से हम एंग्जायटी के बारे में चर्चा करेंगे। इस मूवी में बताया गया है कि हमारे जीवन में हमारी भावनाएं कैसे संचालित होती हैं। चिंता हमें किसी भी खतरे से आगाह करती है और परिस्थिति का सामने करने के लिए सतर्क करती है।
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जिस प्रकार मटका अत्यधिक भर जाए तो वह बहने लगता है, इसी प्रकार अगर मनुष्य को अत्यधिक चिंता होने लग जाए तो वो नकारात्मक परिणाम देने लगती है। मनुष्य के लिए उपयुक्त मात्रा में किसी भी भावना को महसूस करना ठीक रहता है। फ़िल्म में एक ग्यारह वर्ष की लड़की मुख्य किरदार निभाती है। उसका नाम रायली है, जिसकी अभी किशोरावस्था शुरू होने वाली होती है। इस शारीरिक बदलाव के साथ कैसे उसमें मानसिक और भावनात्मक बदलाव आते हैं। किशोरावस्था में होने वाले मानसिक परिवर्तनों को समझाना काफ़ी ज़रूरी है। ऐसे वक्त में चिंता जैसी भावनाएं प्रबल हो जाती हैं क्योंकि व्यक्ति को अपने भविष्य, करियर, सम्बन्धों के बारे में सोचना होता है।
चिंता हमें किसी भी खतरे से आगाह करती है और परिस्थिति का सामना करने के लिए सतर्क करती है।
फ़िल्म के प्रथम हिस्से में विभिन्न भावनाओं को दर्शाया गया है जैसे खुशी, उदासी, गुस्सा, डर और घृणा, परंतु चिंता का एक अहम हिस्सा रखा गया है। फ़िल्म में यह भी दिखाया गया है कि हमारी भावनाएं अलग अलग नहीं हैं, वे एक टीम की तरह काम करती हैं। जब हम इन सभी भावनाओं को संतुलन में रखते हैं, तो हम मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं। अन्य भावनाएं रायली का बचपन से साथ देती है परन्तु किशोरावस्था में आते ही उसमें चिंता बढ़ जाती है। एंग्जायटी को शक्तिशाली रोल दिया गया है, जो रायली के भविष्य के बारे में सोचती है और उसे सतर्क करती है। रायली नए स्कूल में प्रवेश करती है।
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नए माहौल, नए दोस्तों और नई अपेक्षाओं में ढलने का प्रयास करती है। इस नई परिस्थित में उसको खुद की छवि की चिंता होने लगती है, उसको विचार आते है कि अन्य लोग उसके प्रति क्या सोचेंगे, वह खुद पर संकोच करने लगती है और इस वजह से उसका आत्मविश्वास कमज़ोर पड़ जाता है। किशोरावस्था में सिर्फ़ सामाजिक दबाव ही नहीं होता, बल्कि शारीरिक और मानसिक बदलाव भी होने लगते हैं। इन बदलावों के कारण व्यक्ति को स्वयं के लिए या स्वयं की छवि के लिए असुरक्षित महसूस होने लगता है। ये बदलाव व्यक्ति को भविष्य में आने वाली चुनौतियों और असफलताओं के लिए चिंतित करता है।
रायली का परिवार उसके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वह अपने माता पिता की अपेक्षाओं को लेकर भी चिंतित रहती है। वह व्याकुल होती है यह सोच के कि वह अपने माता पिता की उम्मीदों पर खरा उतरेगी या नहीं। जब रायली के माता पिता उसके भविष्य के बारे में उससे चर्चा करते हैं तो यह बातचीत उसके लिए चिंता का कारण बन जाती है। रायली को समझ आता है कि उसे अब खुद से स्वयं के लिए महत्वपूर्ण फैसले लेने होंगे। वह आगे आने वाली जिम्मेदारियों से घबरा जाती है और उस पर अपेक्षाओं का दबाव बना रहता है। किशोरावस्था में सामाजिक संबंध बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। वह नए लोगों से मिलने में डरती है। अपनी छवि के बारे में सोचती है और अपने सही गलत दोस्त समझने में भी असमर्थ होती है।
चिंता जैसी भावनाओं को पहचानना और उन्हें स्वीकार करना पहला कदम है।
वह खुद को दूसरों से अलग महसूस करती है और अन्य लोगों में घुलमिल पाने में संदेह करती है। वह अपने शब्दों और क्रियाओं का मूल्यांकन करने लगती है। जब व्यक्ति की पहचान और सामाजिक स्थिति का निर्माण हो रहा होता है तब सामाजिक अस्वीकृति का डर बढ़ने लगता है। उसे महसूस होता है कि उसे अन्य लोगों के हिसाब से भी अपने आप को बदलना होगा। अन्य लोगों के हिस्सा से बनने के लिए या अन्य लोगों द्वारा स्वीकार होने के लिए रायली अपनी स्वाभाविकता खोने लगती है। फ़िल्म में एक ऐसा दृश्य है जहां रायली दोस्तों के साथ होती है और उसे चिंता सताने लगती है कि वह सही तरीके से घुल मिल पा रही हे या नहीं। मगर अंत में एंग्जायटी उसे अपनी असली पहचान को समझने के लिए प्रेरित करती है और रायली को महसूस होता है कि उसे अपनी स्वाभाविकता को दबाने की जरूरत नहीं है।
अधिकतर व्यक्ति जब चिंता में होता है, स्वाभाविकता से दूर होने लगता है और कुछ ऐसे बर्ताव करने लगता है जो वह शायद सामान्य वक्त में नहीं करता । जैसे जैसे रायली की चिंता बढ़ती है, वह अपने स्कूल, दोस्तों और परिवार के साथ तालमेल बिठाने में मुश्किलें आने लगती है। रायली के माता पिता और उसके दोस्तों का उसकी चिंता के प्रति रवैया यह दर्शाता है कि किसी व्यक्ति की चिंता को नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए बल्कि उस व्यक्ति को समझना और सहायता प्रदान करना चाहिए। ऐसे समय में चिंतित होने वाले व्यक्ति को यह महसूस कराना चाहिए कि वह अकेले नहीं है, वह कैसे भी अपनी चिंताएं प्रकट कर सकते हैं। चिंता का सामना करने में सहायता और समर्थन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रायली के माता पिता भी उसकी भावनाओं को समझते हैं और उसका साथ देते है, ताकि वह इन नई भावनाओं का ठीक से सामना कर पाए। फ़िल्म हमें सिखाती है कि चिंता जैसी भावनाओं को पहचानना और उन्हें स्वीकार करना पहला कदम है।
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पूरी फ़िल्म के दौरान रायली की अन्य भावनाएं खुशी, उदासी, गुस्सा, डर, चिंता को समझने के लिए संघर्ष करते हैं। खासकर खुशी, एंग्जायटी को काफ़ी गलत नज़रिए से देखती है। उसे लगता है कि एंग्जायटी उसके कार्यों में बाधा डाल रही है बजाए उसके साथ मिल कर कार्य करने के। असल जीवन में भी एंग्जायटी को गलत समझा जाता है। जो भी लोग चिंता में होते हैं उन्हें समझा जाता है कि वह बड़ा चढ़ा कर बातें कर रहे हैं या नौटंकी कर रहे हैं बिना यह समझे कि इन भावनाओं का किसी व्यक्ति के मन पर क्या असर पड़ेगा। चिंता ऐसी भावना नहीं है जिसे आप नज़रंदाज़ कर दें, आपको उसका सामना करना ही होगा। अधिकतर चिंता के कई अलग कारण होते है जिनकी वजह से व्यक्ति भविष्य के बारे में सोच में पड़ जाता है। फ़िल्म का सबसे मज़बूत योगदान है कि यह एंग्जायटी के विषय को काफ़ी सामान्य रूप से दर्शाता है और किशोरावस्था में चिंता होना कभी स्वाभाविक रहता है। किशोरावस्था एक कठिन भावनात्मक यात्रा हो सकती है जिसे प्रत्येक व्यक्ति को सामना करना है, यह बात किशोरों और उनके माता पिता को समझना काफ़ी जरूरी है।
चिंता हमेशा नकारात्मक नहीं होती। चिंता होने से हम अनिश्चिताओं के प्रति जागरूक होने लगते है और खुद को विभिन्न परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार कर लेते है। ये भावना हमारी भलाई और सुरक्षा के लिए आवश्यक है, यह हमें कई परेशानियों के समाधान निकालने में भी मदद करती है। यदि चिंता को दूसरे अन्य भावनाओं के साथ ठीक से संतुलित किया जाए तो वह किसी भी व्यक्ति का सार्थक मार्गदर्शन कर सकती है। जब रायली नए स्कूल में जाती है और खुद पर संदेह करने लगती है, तब खुशी उसकी चिंता का साथ देती है और प्रोत्साहित करती है कि वह नए लोगों में मिले झूले और नए दोस्त बनाए।
फ़िल्म में चिंता को नियंत्रित करने के उपाय भी बताए गए हैं जैसे किसी प्रियजन से बात करना, गहरी सांसें लेना या अपना ध्यान किसी अन्य सकारात्मक गतिविधि में शामिल होना, कठिन कार्यों को छोटे छोटे आसान कार्य में बाट देना। यह सभी चीजें हमें चिंता को नियंत्रित करने में सहायता कर सकती है। जैसे जैसे रायली की चिंता बढ़ती है, वैसे वैसे वह यह भी सीखने लगती है कि कैसे उसकी चिंता को नियंत्रित किया जाए। अनुभव के साथ, रायली अपनी चिंता को समझने लगती है कि कब चिंता बढ़ रही है या कब उसे किसी अन्य तरीके से मदद लेने की जरूरत है। किसी भी मानसिक तनाव या समस्या के लिए मदद मांगना सामान्य होना चाहिए। यदि हम समझने वाले लोगों से खुद को शामिल करेंगे तो हमें कठिन परिस्थिति का भी सामना करना आसान हो जाएगा।
हम किसी भी व्यक्ति के लिए चिंता दूर करने का ज़रिया बन सकते हैं, उनसे बात कर सकते हैं, उन्हें खुद में विश्वास दिला सकते हैं।
प्रत्येक दिन हमारे जीवन में कई ऐसे अनुभव होते है जिनकी वजह से हम चिंतित रहते हैं। आवश्यक यह समझना है कि चिंता होना सामान्य है किन्तु चिंता अत्यधिक बढ़ने लगे तो उसके लिए मदद मांगना भी सामान्य होना चाहिए। जिस प्रकार तेज़ बुखार होने पर हम डॉक्टर से सलाह लेते हैं उसी प्रकार ज़्यादा चिंता होने पर साइकॉलोजिस्ट से सलाह करनी चाहिए। चिंता को सही तरीके से खुद में अच्छे बदलाव लाने के लिए उपयोग करना चाहिए।
हम किसी भी व्यक्ति के लिए चिंता दूर करने का ज़रिया बन सकते हैं, उनसे बात कर सकते हैं, उन्हें खुद में विश्वास दिला सकते हैं। हमें एक दूसरे के प्रति मानसिक तनावों के लिए भी संवेदनशीलता लानी चाहिए और हमें मानसिक रोग दूर रखने के तरीकों को बढ़ावा देना चाहिए। हर भावना का विभिन्न महत्व होता है, हमें सभी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और उनसे दूर जाने की जगह उनको ठीक तरह से प्रयोग करना चाहिए।
जीवन नामक गाड़ी में कई स्पीड ब्रेकर आते हैं, कई गड्ढे आते हैं, पर इसका रास्ता हमें चुनना होता है और अपनी गाड़ी का ख्याल रखना होता है और वक्त वक्त पर इस गाड़ी की सर्विसिंग भी करनी जरूरी होती है। अलग अलग अनुभव और भावनाओं के साथ तालमेल बिठाने से जीवन काफ़ी बेहतर हो सकता है। हमारी भावनाएं हमारे अनुभव का स्वाभाविक जवाब होती है, कुछ को हम सकारात्मक रूप से देखते हैं और कुछ को नकारात्मक रूप से परन्तु इन सभी का हमारे जीवन में अहम हिस्सा होता है। चिंता हमारी दुश्मन नहीं है बल्कि हमारा एक साथी है जिसको कभी कभी सीमाओं में रखना अवश्य हो जाता है। एंग्जायटी को संवेदनशीलता से हल करना होता है। इनसाइड आउट 2 न केवल चिंता के अनुभव को दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता कैसे बढ़ाई जाती है। फ़िल्म इस बात पर ज़ोर देती है कि हमें अपनी भावनाओं को समझने आहे उन्हें स्वीकार करने की आवश्यकता है।