किशोरावस्था पर सोशल मीडिया का प्रभाव 
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किशोरावस्था पर सोशल मीडिया का प्रभाव 

किशोरावस्था  (adolescence) मानव जीवन के व्यक्तित्व का नींव माना जाता है। वैज्ञानिक आमतौर पर इसे 13-19 वर्ष के बीच का समय मानते है। एक बालक को किशोरावस्था में शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक बदलावों का सामना करना पड़ता है। यह बदलाव बहुत नया और उलझनों से भरा होता है। यदि सही दिशा प्रदान की जाए तो वें कई चुनौतियों का सामना सरलता से कर सकते हैं। यह मनुष्य के विशेष गुण जैसे विनम्रता, परिश्रमी, कर्तव्यनिष्ठा, उदारता, चरित्रवान आदि के विकसित होने का समय होता है। 

यह एक महत्वपूर्ण समय इसलिए माना जाता है क्यूँकी यही समय व्यक्ति का व्यक्तित्व, अदातों, और भविष्य के निर्णयों की नींव रखता है। अक्सर कई नौजवानों में चिंता, अवसाद, तनाव, शरीर की छवि के मुद्दे, मादक द्रव्यों का सेवन आदि जैसे मानसिक विकार सामान्य रूप में देखने को मिलते हैं। यह एक ऐसा संवेदनशील समय होता है, जिसमें अगर सही से इनका दिशा निर्देश नहीं किया गया तो यह किशोरों में कई मानसिक विकारों को जन्म दे सकता है।

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किशोरावस्था में होने वाले मानसिक बदलाव 

क्या आपको पता है? डब्ल्यू.हेच.ओ (WHO) के मुताबिक विश्व में 10-19 वर्ष के प्रत्येक 6 में से 1 व्यक्ति मानसिक विकार से पीड़ित है, जो इस आयु वर्ग में वैश्विक रोग भार का 13% है। स्कूल में किशोरावस्था के शारीरिक बदलावों के बारे में पढ़ाया तो जाता है लेकिन मानसिक और भावनात्मक बदलावों और चुनौतियों पर न के बराबर पढ़ाया जाता है। अपनी और दूसरों की भावनाओं को समझने से व्यक्ति मे सहनशीलता और परिपक्वता के गुण विकसित होते हैं। यदि इन नौजवानों को शरीर के बदलाव के साथ-साथ मानसिक और भावनात्मक बदलाव के बारे में शिक्षित किया जाए तो इन्हे मानसिक विकारों से बचाया जा सकता है। किशोरावस्था अपने आप में ही एक पेचीदा विषय है। अगर मानसिक रूप से होने वाले बदलावों के बारे में बात करें तो 5 सबसे सामान्य बदलाव निम्नलिखित हैं: 

1. भावनात्मक आस्थिरता (Emotional Imbalance)

किशोरावस्था के समय नए भावनाओं का जन्म और विकास होता है, जो जिंदगी भर के लिए मनुष्य के व्यवहार और मन की शांति को निर्धारित करता है। किशोरावस्था के समय शरीर में हॉर्मोनल बलावों के कारण भावनात्मक परिवर्तन जैसे मूड सविंग्स (Mood Swings), रोमांटिक भावनाएँ, आत्म-सम्मान की समस्याएं और पहचान संकट आदि का सामना करना पड़ सकता है। यह सारी भावनाएं नई और इनमें समझने की कम क्षमता होने के कारण इनके मस्तिष्क में भावनाओं के बीच अस्थिरता को जन्म देता है, जिसे भावनात्मक अस्थिरता कहते है। यह अस्थिरता इनके रोज मर्रा के जीवन में मानसिक रूप से बाधाएं उत्पन्न करते हैं। 

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2. स्वतंत्रता की इच्छा (Desire for Independence)

एक मनुष्य जब शिशु होता है तब उसे अपने माता-पिता या अपनों पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन जब वही शिशु अपने किशोरावस्था में प्रवेश करता है  यानि 11-13 वर्ष में तब वह दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहता। उन्हे माता-पिता का साथ अब बंधन सा लगने लगता है जिससे उनके बीच में दूरी की भावना उत्पन्न होती है। स्वतंत्रता की इच्छा उनके मन में पनपने लगती है। यह बदलाव उन्हे मानसिक रूप से आत्मनिर्भर बनाती है।  

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3. पहचान की खोज (Search for Identity)

किशोरावस्था में पहचान की खोज करना एक महत्वपूर्ण चरण है। इस चरण में किशोर यह समझने की कोशिश करते हैं कि वे कौन हैं और उनका जीवन में क्या उद्देश्य है। वे लोग अपनी रुचियों और क्षमताओं, मूल्यों, और विश्वासों के आधार पर अपनी एक विशिष्ट पहचान विकसित करना चाहते हैं। इससे समाज में अपने अस्तित्व को स्थापित करने की कोशिश करते हैं। इस प्रक्रिया में आत्म-विश्वास में उतार-चढ़ाव होना स्वाभाविक होता है। 

4. सामाजिक दबाव (Social Pressure)

किशोर अपने साथियों और समाज द्वारा स्वीकार किए जाने की तीव्र इच्छा रखते हैं। वे अपने दोस्तों और समूहों में घुलने-मिलने के लिए संजीक मान्यता और व्यवहारों को अपनाने की कोशिश करते हैं। साथियों का प्रभाव इन पर कुछ ऐसा  करने के लिए प्रेरित करता है, जो वे आमतौर पर नहीं करते, जैसे फैशन ट्रेंड्स को अपनाना, सोशल मीडिया पर सकक्रिया रहना आदि। यदि वे अपने साथियों की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते, तो यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

5. निर्णय लेने की क्षमता (Decision-Making Ability)

किशोरावस्था में निर्णय लेने की क्षमता की प्रक्रिया अक्सर जटिल और चुनौतीपूर्ण होती है। इस उम्र में किशोर अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण निर्णय लेने की कोशिश करते हैं, जैसे कि करियर, दोस्ती, रिश्ते, और व्यक्तिगत आदतें। अनुभव की कमी और भावनात्मक अस्थिरता के कारण वे कभी-कभी गलत या अपरिपक्व निर्णय ले सकते हैं। वे अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करके फैसले लेना चाहते हैं, लेकिन इन फैसलों में जोखिम भी हो सकता है, जैसे गलत आदतों को अपनाना या दोस्तों के दबाव में आकर निर्णय लेना।

प्रस्तुत मानसिक बदलाव किशोर में बहुत सामान्य और स्वाभाविक होते हैं, जो इनके विकास प्रक्रिया का एक हिस्सा है। यदि इन बदलावों का असर लंबे समय तक नकारात्मक रूप से प्रभाव करता है तो जल्द से जल्द प्रोफेससीऑनल्स की मदद लें। 

सोशल मीडिया का किशोरावस्था पर प्रभाव 

किशोरावस्था नए अनुभवों से भरा और खुद का अन्वेषण करने का समय होता है। इस समय में वे लोग अपने शारीरिक छवि को लेकर बहुत असुरक्षित महसूस करते हैं। सोशल मीडिया इस आग में घी डालने का काम करती है। वे इस मंच पर लाइक्स और फॉलोवर्स के पीछे खुद की तुलना दूसरों से करते हैं और जब खुद को उनसे कम पाते हैं, तब तनाव और चिंता में घिर  जाते हैं। तनाव और चिंता इनके आत्मविश्वास को कम कर देती है, जिससे अपने विचोरों को खुलकर सामने नहीं रख पाते। इससे वे दूसरों से बातचीत कम कर देते हैं जिससे वे अकेलेपन में डूब सकते हैं। अकेलेपन की वजह से अवसाद जैसे मानसिक विकारों के शिकार बन सकते हैं। 

कई अध्यायनों के अनुसार, जो किशोर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम, फेस्बूक और अन्य प्लेटफॉर्म पर सबसे ज्यादा समय बिताते हैं, उनमें सबसे कम समय बिताने वालों की तुलना में अवसाद की रिपोर्ट 13%-66% तक अधिक पाई गई। सरल भाषा में किशोर एक साफ पानी की तरह होते हैं जिसमें अगर रंग की एक बूंद भी गिर जाए तो उसे अलग करना असंभव हो जात है। कुछ इसी प्रकार सोशल मीडिया का रंग किशोर रूप पानी में गिर जाए तो उन्हे दूषित कर देती है। 

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सोशल मीडिया के प्रयोग से हमारे दिमाग में डोपामाइन नाम का केमिकल निकलता है, जो हमें सुख का आभास करता है। यही डोपामाइन तंबाकू और शराब के सेवन से भी निकलता है, और जब ज्यादा मात्रा में निकालने लगती है तो इसे लत लगना कहते हैं। किशोरावस्था में बुरी चीजों की लत बहुत आसानी से लग जाती है, जिसमें सोशल मीडिया भी शामिल है। इससे नींद की कमी भी होने लगती है, और यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।

इन विकारों से बचने के लिए सोशल मीडिया का नियमित समय तक इस्तेमाल करें, ज्यादा तर समय दुसरें कामों में बितएं और परिवार के साथ अधिकतर समय बिताऐं। ऐसे कई सारे विकल्प है जो आपको व्यस्त रख सकती है, जैसे अकेलापन महसूस करने पर प्रकृति में समय बिताना, ध्यान लगाना, व्यायाम करना, डायरी लिखना और ऐसे ही सामान्य लेकिन असरदार तरीके मन को शांत रखने में सहायक होती है। 

किशोरावस्था मानव जीवन का एक जटिल और विचित्र समय होता है। यह समय मानव के व्यक्तित्व के विकास का समय होता है। इस समय शारीरिक रूप के साथ मानसिक और भावनात्मक बदलाव भी देखे जा सकते हैं। सोशल मीडिया के अधिक इस्तेमाल से किशोर के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नींद की कमी, अवसाद, चिंता और तनाव जैसे मानसिक विकारों का सामना करना पड़ सकता है। सोशल मीडिया के कारण वे खुद की  दूसरों से तुलना करने लगते हैं, जिससे आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। अपना ज्यादा तर समय दुसरें अन्य कामों में बिताया जा सकता है, जैसे परिवार और प्रकृति के साथ समय बिताना, डायरी लिखना, ध्यान लगाना, व्यायाम करना आदि। यही समय है कि हम सोशल मीडिया के संतुलित उपयोग को सुनिश्चित करें और इसके लाभों को सुरक्षित रूप से प्राप्त करें, जबकि इसके संभावित नुकसान से खुद को बचाएं।

FAQ’S
1. किशोरावस्था क्या होती है?

किशोरावस्था मानव जीवन के 13-19 वर्ष का समय होता है जो बहुत जटिल और उलझनों से भर होता है। 

2. किशोरावस्था मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण समय क्यूँ है?

यह समय महत्वपूर्ण इसलिए है क्यूँकी व्यक्ति का व्यक्तित्व, अदातों, और भविष्य के निर्णयों की नींव रखता है।

3. किशोरावस्था में होने वाले मानसिक बदलाव क्या है?

 किशोरावस्था में 5 सबसे सामान्य बदलाव निम्नलिखित हैं: 

  • भावनात्मक आस्थिरता
  • स्वतंत्रता की इच्छा
  • पहचान की खोज
  • सामाजिक दबाव
  • निर्णय लेने की क्षमता
4. सोशल मीडिया किशोरावस्था पर क्या प्रभाव डालती है?

सोशल मीडिया किशोर पर मानसिक और भावनात्मक रूप से नकारात्मक प्रभाव डालता है। 

5. सोशल मीडिया के प्रभाव से कैसे बचें?

सोशल मीडिया का नियमित समय तक इस्तेमाल करें, प्रकृति में समय बिताना, ध्यान लगाना, व्यायाम करना, डायरी लिखना। 

References +

Miller, C. (2024, April 16). Does social media use cause depression? Child Mind Institute. https://childmind.org/article/is-social-media-use-causing-depression/#:~:text=In%20several%20studies%2C%20teenage%20and,who%20spent%20the%20least%20time

Teens and social media use: What’s the impact? (2024, January 18). Mayo Clinic. https://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/tween-and-teen-health/in-depth/teens-and-social-media-use/art-20474437#:~:text=The%20researchers%20found%20that%20using,mental%20health%20risks%20in%20teens

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